उत्साहवर्धन के लिये आप सब लोगों का बहुत बहुत धन्यवाद। परन्तु कुछ मित्रों को गलतफहमियां हो गयी मेरे नाम को लेकर सो ये नाम बदल रहा हूं । फिर मुझे भी लगने लगा है कि अंजाने में मैं एक बहुत बड़े नाम का सहारा ले बैठा.....आशा है ....आगे भी आप लोगों से ऐसे ही दाद और मार्गदर्शन मिलता रहेगा......
प्रस्तुत है.....एक छोटी सी रचना.....उदासी..
अजीब सी बेबसी है अजीब सा दर्द है
जलती दोपहरी में हवा सर्द है...
उफ...ये आवाज सीने में घुटी जाती है...
मौत हुई है दूर मुझसे और हर लम्हा जिंदगी छुटी जाती है...
उदास हूं मैं मेरा दिल उदास है....
ये सुबह की शबनम....
ये शाम की सरगम....
ये दिन की उलझन ....
ये रात का खालीपन....
ये सब उदास है.....
उदासी की हर सिम्त बसेरा है....
न धड़कने मेरी ना सांस मेरा है....
कसक सी दिल में हर रोज़ उठी जाती है.....
हां अब जिंदगी मुझसे छुटी जाती है........
Monday, May 7, 2007
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3 comments:
ये ठीक है, परंतु आप ये भी कर सकते थे -
बेकल उत्साही - द्वितीय जैसे कि आजकल एक साहित्यकार हैं प्रेमचंद द्वितीय.
चलो, अब बढ़िया है.
इतनी उदासॊ भी ठीक नहीं, मित्र. अब जरा एकाध फड़कती हुई रचना लेकर आयें.
अजीब सी बेबसी है अजीब सा दर्द है
जलती दोपहरी में हवा सर्द है...
उफ...ये आवाज सीने में घुटी जाती है...
मौत हुई है दूर मुझसे और हर लम्हा जिंदगी छुटी जाती है...
आप के भीतर की छटपटाहट नजर आती है।अच्छी रचना है ।
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